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रविवार, 7 नवंबर 2010

हरसूद

हरसूद जैसा मैंने जून २००८ को देखा।
एक ऐसा प्यारा क़स्बा,शहर,गाँव,जगह जहाँ दिल सुकून पाता थाखंडहर में तब्दील हो चुका है. उस समय के २-४ फोटो अभी ब्लॉग पर  डले  है.बाकी के बहुत सारे इसी माह नवम्बर २०१० के ख़त्म होने के पहले डाल दूंगा.