ग्रामीण परिवेश पर लिखी गयी कहानी पिछले १० माह से मेरे पास थी मगर फिनंसर नहीं मिल पाने से काम अटका पड़ा था. द सीक्रेट अपना काम करता है.मैंने फिल्म को बनते हुए देखा और महसूस किया की वो ज़रूर बन रही है,बाद में कई तरह की रुकावटें आई, मगर फालतू लोग हटते चले गए और आज कई नए लोग आ गए जो ठोस तरीके से काम करना चाहते हैं.
फिल्म का नाम अभी डिसाइड नहीं हुआ है. हरीश को फ़ोन पर बताया, बंदा खुश हुआ.इस महीने ही मुहूर्त कर स्टार्ट करना है.
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